नई दिल्ली : हृदय रोग दुनियाभर के लिए बड़ा स्वास्थ्य जोखिम है। आंकड़ों के मुताबिक विश्वभर में 620 मिलियन से अधिक लोग हृदय रोग से पीड़ित हैं और हर साल लगभग 60 मिलियन लोगों में इस रोग के मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। हृदय रोगों की गंभीर स्थिति हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकती है जिसे मृत्य के प्रमुख कारणों में से एक माना जाता है।
विशेषज्ञ कहते हैं, हृदय स्वास्थ्य की समस्या किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है, इसलिए कम उम्र से ही सभी लोगों को इससे बचाव के उपाय करते रहना चाहिए। डॉक्टर कहते हैं, सभी लोगों को अपने जोखिम कारकों के बारे में जानना और खतरे को कम करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
हृदय रोग और इससे संबंधी बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके रोकथाम को लेकर लोगों को शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल 29 सितंबर को विश्व हृदय दिवस मनाया जाता है। हृदय रोगों के बारे में लोगों के मन में अक्सर ये सवाल रहता है कि क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे जाना जा सके कि भविष्य में आपको ये बीमारी होगी तो नहीं?
समय पर करें हृदय रोगों की पहचान
जॉन्स हॉपकिन्स में वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट सेठ मार्टिन कहते हैं, हृदय रोग वाले लोगों की औसत आयु भी कम हो सकती है। जिन लोगों को कोरोनरी आर्टरी डिजीज का जोखिम कम होता है, वे उच्च जोखिम वाले लोगों की तुलना में औसतन 10 साल अधिक जीते हैं।
सबसे अच्छी खबर यह है कि अपने जोखिमों का पता लगाने के बाद आप हृदय रोगों के खतरे को कम करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। जोखिमों को जल्द से जल्द पहचानना और इसके खतरे को रोकने के लिए प्रयास करना आवश्यक है।
आपको हृदय रोगों का खतरा तो नहीं? इसे समझने में ABCDE फार्मूला काफी मददगार है।
ए एज: उम्र और अन्य कारक
हृदय रोगों के लिए उम्र बढ़ना एक प्रमुख जोखिम कारक है। जैसे-जैसे आप बड़े होते जाते हैं उच्च रक्तचाप या अस्वस्थ जीवनशैली आदि के कारण हृदय रोगों का खतरा और भी बढ़ जाता है। 45 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों और रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में हृदय संबंधी घटनाएं सबसे अधिक रिपोर्ट की जाती रही हैं। यानी कि जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है आपको हृदय रोगों को लेकर और भी अलर्ट हो जाना चाहिए।
बी ब्लड प्रेशर
ब्लड प्रेशर बढ़ने को हृदय रोगों का प्रमुख कारक माना जाता है। 140/90 से ऊपर की रीडिंग को उच्च रक्तचाप माना जाता है। उच्च रक्तचाप के कारण धमनियों और हृदय पर दबाव काफी बढ़ जाता है, जिससे दिल के दौरे या स्ट्रोक की आशंका भी अधिक हो सकती है। जिन लोगों को अक्सर हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत रहती है उनमें हृदय रोगों का खतरा अधिक होता है।
सी कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना खतरनाक
ब्लड प्रेशर की ही तरह से हाई कोलेस्ट्रॉल को भी हृदय रोगों का कारण माना जाता है। रक्त में बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल होने के कारण धमनियों में वसायुक्त पदार्थ बढ़ने लगते हैं जिससे रक्त का संचार प्रभावित हो जाता है। जिन लोगों के ब्लड लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर अक्सर बढ़ा हुआ रहता है उनमें भविष्य में हृदय रोगों का जोखिम काफी अधिक हो सकता है।
डी डायबिटीज
हाई ब्लड शुगर का स्तर डायबिटीज का जोखिम बढ़ा देती है, इस स्थिति को हृदय रोगों का भी कारक माना जाता है। मधुमेह रोगियों को कोरोनरी आर्टरी डिजीज का जोखिम दोगुना होता है। टाइप-2 डायबिटीज वाले अधिकांश लोग इसका शिकार हो सकते हैं। डायबिटीज के शिकार लोगों को ब्लड शुगर के साथ हृदय रोगों से बचाव के लिए भी प्रयास करते रहने की आवश्यकता होती है।
ई एक्सरसाइज
हृदय को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम की आदत बनाना आवश्यक माना जाता है। अगर आप व्यायाम नहीं करते हैं और शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं है तो इससे भविष्य में आपके हृदय रोगों का शिकार होने की आशंका अधिक हो सकती है। व्यायाम की कमी मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी हृदय रोग की दिक्कतों को और भी बढ़ा देती है।