नई दिल्ली : हर साल 28 सितंबर को दुनियाभर में रेबीज दिवस मनाया जाता है। ये दिन रेबीज को लेकर जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है, जो एक घातक बीमारी है। रेबीज एक ऐसा घातक वायरस है जो ज्यादातर केस में मौत का कारण बनता है। आमतौर पर रेबीज को कुत्तों से जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि आमतौर पर ये कुत्तों के काटने से फैलता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं रेबीज सिर्फ कुत्तों के काटने से ही नहीं फैलता, बल्कि कुछ और भी कारण हैं जिनके चलते रेबीज फैलता है। चलिए आपको विश्व रेबीज दिवस 2024 पर बताते हैं रेबीज फैलने के कारणों, इसके लक्षण और बचाव के बारे में।
रेबीज क्या है?
रेबीज फैलने के कारण, बचाव और लक्षण के बारे में जानने से पहले ये जानना जरूरी है कि रेबीज है क्या। रेबीज एक घातक वायरस है, जो संक्रमित कुत्तों या जानवरों की लार में मौजूद होता है और इन जानवरों के काटने से फैलता है। अगर किसी व्यक्ति में एक बार रेबीज के लक्षण दिखने लगते हैं तो ज्यादातर मामलों में ये मौत का कारण बन सकता है।
रेबीज के कारण
रेबीज किसी संक्रमित जानवर के काटने या खरोंच के कारण फैलता है। इसके अलावा मनुष्य को रेबीज तब भी हो सकता है जब किसी संक्रमित जानवर की लार सीधे किसी व्यक्ति की त्वचा के संपर्क में आती है। कुत्तों के काटने के अलावा बिल्ली, बीवर, गाय, बकरी, चमगादड़, रैकून, लोमड़ी, बंदर और कोयोट में भी रेबीज पाया जाता है, लेकिन ज्यादातर मामलों में संक्रमित कुत्तों के काटने या खरोंच से रेबीज होता है। रेबीज से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपने पालतू जानवरों को टीका लगवाएं और आवारा कुत्तों से थोड़ी दूरी बनाए रखें।
रेबीज के लक्षण
रेबीज के लक्षण आमतौर पर जल्दी दिखाई नहीं देते। जब किसी व्यक्ति को कोई संक्रमित जानवर काटता है या वह रेबीज के संपर्क में आता है तो वायरस लक्षण को पैदा करने से पहले शरीर के जरिए दिमाग तक पहुंचता है, इसके बाद ही लक्षण दिखाई देते हैं। रेबीज किसी व्यक्ति के शरीर में 1 से 3 महीने तक निष्क्रिय रह सकता है। रेबीज के लक्षणों की बात करें तो इसका सबसे पहला संकेत है बुखार का आना। रेबीज में ध्यान देने योग्य जो बातें हैं उनमें-
घबराहट होना
पानी निगलने में दिक्कत होना या लिक्विड के सेवन से डर लगना
बुखार आना
तेज सिरदर्द होना
घबराहट होना
बुरे सपने और अत्यधिक लार आना
नींद ना आना
पार्शियल पैरालिसिस भी रेबीज का लक्षण हो सकता है।
रेबीज से बचाव के उपाय
अगर किसी व्यक्ति को किसी कुत्ते, आवारा पशु या संक्रमित जानवर ने काट दिया है तो उसे तुरंत स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञ घाव की जांच करेंगे और फिर ये निर्धारित करेंगे कि इलाज की जरूरत है या नहीं। इससे बचाव के लिए रेबीज का टेस्ट कराएं और साथ ही उस पशु का भी परीक्षण कराएं, जिसने व्यक्ति को काटा है। इसके अलावा रेबीज संक्रमित जानवर के काटने, उसके खरोंचने या उसके लार के सीधे त्वचा के संपर्क में आने पर तुरंत रेबीज वैक्सीन लगवाएं। जंगली जानवरों से दूर रहें, चमगादड़ों को अपने घर के आसपास ना आने दें और अपने पालतू जानवर को रेबीज का टीका लगवाएं। पालतू जानवर किसी रेबीज संक्रमित जानवर के संपर्क में ना आएं, ये सुनिश्चित करने के लिए अपने पालतू जानवर को घर के अंदर ही रखें और अपनी देख-रेख में ही बाहर लेकर जाएं।